मुख्य रूप से चार बातों पर विशेष आग्रह किया गया है,
शासन द्वारा “वेदमणि संगीत विद्यालय” की स्थापना किया जाना चाहिए,
शासन द्वारा “वेदमणि संगीत फेलोशिप” प्रदान किया जाना चाहिए
संगीत प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु प्रतिवर्ष राज्य स्तरीय ”वेदमणि पुरस्कार” प्रदान किया जाना चाहिए
हज़ारों बेशक़ीमती रचनायें गीत,ग़ज़ल, कविता और लोकगीत हिंदी,छत्तीसगढ़ी और उर्दू भाषा में है उन्हें संस्कृति विभाग साहित्य अकादमी द्वारा संग्रहित कर प्रकाशित करना चाहिये। संगीत शिरोमणि के अनमोल धरोहर को संरक्षित किया जाना अतिआवश्यक है।
संगीत शिरोमणि , कलागुरु वेदमणि सिंह ठाकुर जी ने संगीत मनीषी स्व लक्षमन सिंह तथा संगीत ऋषि तुल्य पिताश्री स्व जगदीश सिंह ‘दीन’ मृदंगार्जुन की गौरवशाली परंपरा व विरासत को आपने समृद्ध किया ।आपकी साधना,तपस्या , लगन और समर्पण जिसने देश की सांस्कृतिक परम्परा को केवल समृद्ध ही नहीं किया वरन एक नया आयाम दिया है ।जिसने अपनी माटी जन्मभूमि, शहर , राज्य , समाज तथा राष्ट्र को गौरान्वित किया है ।शहर को सांस्कृतिक राजधानी का दर्ज़ा,छत्तीसगढ़ राज्य को राष्ट्रीय गौरव गरिमा पूर्ण राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव “चक्रधर समारोह गणेश मेला “ तथा राष्ट्र स्तरीय ‘ ‘ चक्रधर पुरस्कार’ आपकी साधना और तपस्या का ही प्रतिफल है।जटिल और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अंचल में आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत की गंगा प्रवाहित है।आपके अप्रतिम योगदान का राष्ट्र ऋणी रहेगा।आपकी स्मृति को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता।
संगीत शिरोमणि , कलागुरु वेदमणि सिंह ठाकुर जी सांस्कृतिक धरोहर एवं विरासत को अब सहेजने की ज़रूरत है-
जब व्यक्ति अपना सम्पूर्ण जीवन अपनी साधना तपस्या और समर्पण से समाज व लोक कल्याण या अपनी ऐतिहासिक परंपरा ,विरासत तथा धरोहर को संरक्षित करने में लगाता है हुए समृद्ध करता है तो राष्ट्र उसका ऋणी हो जाता है।समाज राज्य और राष्ट्र की ज़िम्मेदारी भी बहुत बढ़ जाती है। निःसंदेह संगीत शिरोमणि वेदमणि सिंह ठाकुर की सांस्कृतिक धरोहर एवं विरासत को अब सहेजने की ज़रूरत है।शासन द्वारा “वेदमणि संगीत विद्यालय” की स्थापना किया जाना चाहिए।वर्तमान में एकमात्र संगीत कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ में स्थापित है। संगीत महाविद्यालय स्थापना की लंबे समय से मांग की जा रही है। सरकार ने भी चक्रधर समारोह के प्रतिष्ठित मंच से संगीत महाविद्यालय की स्थापना की घोषणा भी की है उसे “वेदमणि संगीत महाविद्यालय” के नाम से स्थापित किया जाना चाहिए।संगीत के क्षेत्र में मेधावी प्रतिभाओं को शासन द्वारा “वेदमणि संगीत फेलोशिप” प्रदान किया जाना चाना चाहिए।
संगीत प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु प्रतिवर्ष राज्य स्तरीय ”वेदमणि पुरस्कार” प्रदान किया जाना चाहिए। हज़ारों बेशक़ीमती रचनायें गीत,ग़ज़ल, कविता और लोकगीत हिंदी,छत्तीसगढ़ी और उर्दू भाषा में है उन्हें संस्कृति विभाग साहित्य अकादमी द्वारा संग्रहित कर प्रकाशित करना चाहिये।यह सब अनमोल धरोहर को संरक्षित किया जाना अतिआवश्यक है।संस्कृति सभ्यता निरंतर समृद्ध होती रहे ।हमारी आनेवाली पीढ़ी को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।
गणेश कछवाहा
रायगढ़ छत्तीसगढ़
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