रायगढ़।
शहर की ट्रिपल इंजन की सरकार का विकास का मॉडल अब मूर्तरूप लेने लगा है। इसकी पहली कड़ी के रूप में रायगढ़ के स्थानीय संजय कॉम्प्लेक्स स्थित सब्जी मंडी को विस्तार देते हुए श्याम टॉकीज चौक से तीनों तरफ सड़कों पर यह सब्जी पसरे के रूप में नजर आने लगा है।
नेता प्रतिपक्ष सलीम नियरिया ने चुटकी लेते हुए कहा कि अपनी निष्क्रियता और कमजोर इच्छाशक्ति के कारण कोई ठोस एवं स्थाई समाधान करने के बजाय ऐसे बेतुके निर्णय ले कर शहर की सड़कों में सब्जी बाजार लगवाने में निगम सरकार को ज्यादा उचित लगता नजर आ रहा है। बीच शहर में सब्जी पसरा लगाने देने का निर्णय शायद इसलिए लिया होगा की शहर की आम जनता को सुगमता के साथ राह चलते सब्जी मिल सके, रही बात थोड़ा सा आवागमन में परेशानी जरूर हो रही है लेकिन निगम प्रशासन द्वारा जो सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है उसे भी ध्यान में रखना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष सलीम नियरिया ने कहा कि फिलहाल तो श्याम टॉकीज चौक के चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। लोगों के साथ साथ मवेशियों का उन्मुक्त विचरण एक अद्भुत कस्बाई एवं ग्रामीण हाट का दृश्य उत्पन्न कर रहा है। जो बहुत रमणीय एवं मन मोहनीय है। मेरी सभी नागरिकों से गुजारिश है कि एक बार इस दृश्य की आत्मानुभूति अवश्य करें। ऐसे अवसर जीवन में बार बार नहीं आते। और हां सड़कों पर यहां वहां विचरण करते बैठे मवेशियों से सावधान रहकर।
सड़कों पर जगह जगह सब्जी पसरा लगाकर बैठ जाने से कुछ लोगों को इस प्रकार बाजार लगाने के निर्णय से घोर आपत्ति हो सकती है कि पहले से ही रोजाना घंटों तक जाम लगने वाली सड़कों पर मार्ग को पूर्णतः अवरुद्ध कर दिया गया है। रही बात आवागमन हेतु मार्ग अवरुद्ध होने की तो यह भी समझे कि शहर सरकार आपको हर सड़क चौक चौराहों पर सुगम तरीके साग सब्जी उपलब्ध करवा रही है। और भविष्य में सुगमता से मांस मटन मछली भी बिकती नजर आएगी शहर सरकार हो सकता है की जल्द ही इसके लिए भी शहर की विभिन्न सड़कों पर इसके लिए भी स्थान सुनिश्चित कर दे।
आम शहरवासियों को आवागमन में हो रही तकलीफ की बात को लेकर उन्हें यह भी समझना होगा की शहर सरकार उनके लिए कितना सुगम व्यवस्था बनाने में जुटी है। उसके लिए सिर्फ इतना कहना है कि सब्जी बाजार नहीं लगने पर भी तो आखिर रोजाना इन सड़कों पर जाम से जूझना ही पड़ता है तो फिर क्या हुआ कि थोड़ी तकलीफ और बढ़ गई। विकास के नाम पर थोड़ा त्याग करना तो बनता है । आखिर कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।
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