रायगढ़। बुधवार की दोपहर अडानी ग्रुप के लोग भोले भाले आदिवासियों को बहला फुसला डरा धमका धनबल आदि का प्रयोग कर कोयला खदान के लिए ग्रामीणों की सहमति दिलाने गुपचुप तरीके से लाया गया था। जिला मुख्यालय के जिला दंडाधिकारी के समक्ष कोयला खोदने देने के लिए सडयंत्र के तहत चेहरा दिखाने दंडाधिकारी कार्यालय लाया गया था। मामला कोयला निकालने जमीन देने कोई आपत्ति नहीं की हामी भरवाने लाया गया था । आए ग्रामीणों को सिर्फ मूकदर्शक बने रहना था जो बोलना था वह दलाल और एजेंट नुमा ग्रामीणों को बोलना था। इसी बीच अडानी के लोगों की ग्रामीणों के साथ क्रियाकलाप संदिग्ध लगी, तो ग्रामीणों से पूछताछ करने लगे, बस फिर क्या था अडानी के गुर्गे पत्रकारों से भिड़ गए। जिस तरह से ग्रामीणों के साथ व्यवहार किया जा रहा था किसी से बात करना भी प्रतिबंध इधर उधर कहीं नहीं जाना चुपचाप जैसा बोल रहे रहे वैसा करने का दबाव साफ नजर आने पर पत्रकारों को खत का मजमून देखकर पूरी कहानी समझ आ गई। पोल खुलते देख अडानी के गुर्गे पत्रकारों पर पिल पड़े और धमकी चमकी कौन तू तड़ाक करते मारपीट पर उतारू हो गए। और यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ।
चौथे स्तंभ को एक उद्योग पति के गुर्गे गुंडा कह संबोधित करने पर पत्रकार भड़क गए मौके पर मौजूद पुलिस बल के द्वारा समझाइश का भी उद्योगपति के गुर्गों को शांत नहीं करा पा रही थी इस दौरान अडानी के गुर्गे पत्रकारों पर लगातार रौब झाड़ते नजर आए और देख लेने मरवा देने जैसे धमकी भरे शब्दों का भी खुलकर इस्तेमाल किया गया। खास बात ये है की अडानी के गुर्गों द्वारा कलेक्ट्रेट लाने के बकायदा तमनार से पुलिस उनके साथ आई थी। एक उद्योग पति के कोयला खदान को शाम दाम दण्ड भेद की नीति अपनाकर किसी भी तरह ग्रामीणों को जल जंगल जमीन से बेदखल करने की हर रणनीति अपना रही है। आज की घटना भी उसी की एक हिस्सा बनने जा रही थी लेकिन एन मौके पर पोल खुल गई।
महाजेंको के लिए लगाई गई फर्जी ग्राम सभा दस्तावेज उजागर होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। बकायदा लिखित शिकायत दर्ज कराया गया बावजूद इसके प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगा, अब एक बार फिर से गुपचुप तरीके से भोले भाले ग्रामीणों को डरा धमका बहला फुसला कर अपने दबाव में लाकर जिला दंडाधिकारी के समक्ष हामी भरवाने की चाल भी अब बेनकाब हो गई है।
सूत्रों की माने तो गांव के दलाल नुमा लोग और अडानी के एजेंटों द्वारा गांव के लोगों को आपस में लड़वाकर दो फाड़ में कर दिया है उन्हीं में एक गुट को लेकर कलेक्टर के समक्ष आवेदन लेकर हामी भरवाने पहुंचे थे जबकि बताया यह भी जा रहा है की आए ग्रामीणों को यह भी पता नहीं की आवेदन में क्या लिखा है।
एजेंटों और दलालों की हिम्मत देखिए आज मीडिया को गुंडा कहा गया – सविता रथ/-
कुछ द्लालानुमा लोग स्थाई रूप से उद्योगों खदानों के लिए काम करते हैं और अपनी शक्ति प्रदर्शन करने के लिए आते हैं इनके हौसला इतने बुलंद होते हैं कि ये लोग जनसुनवाई के दौरान भी कंपनियों के लिए दलाली करते हैं और ग्रामीण लोगों को बरगलाया जाता है और स्वयं सीधे लाभ प्राप्त करते हैं। आज वह समय याद आ गया एक समय में जिंदल के अधिकारियों ने रायगढ़ एसपी को उनके कार्यालय में घुसकर धमकाने गए थे और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जब पता चला तो उन्होंने जमकर जिंदल के विरोध किया था । लेकिन उस समय भी किसी ने उद्योगपति के खिलाफ हिम्मत नहीं जुटाई थी। कुछ न कहने की स्थिति आज ये उत्पन्न हो गया है की अडानी के एजेंट और उनके दलाल मीडिया को खुलेआम जिलाधिकारी कार्यालय के सामने ही गाली देने और मारपीट में उतारू हो गया है । अच्छा हुआ उस वक्त पुलिस अधिकारियों ने बात सम्भाल लिया । वही यदि मौके पर महिला पत्रकार वहां मौजूद होती तो किसी अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता था। अगर पुरुष पत्रकारों को गुंडा बोला गया है तो महिला पत्रकारों को क्या संबोधित किया होता? जिला प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेकर कड़ी कार्रवाई की मांग करती हूं।
गांव के तथाकथित दलाल और अडानी के एजेंटों के खिलाफ हो एफआईआर/- राजेश त्रिपाठी
जाने माने समाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी ने कहा कि
अदानी कंपनी द्वारा गांव के तथाकथित दलाल ठेकेदारों कर्मचारियों को ग्रामीण बनाकर और उनके साथ कुछ भोले भाले ग्रामीणों को साथ लेकर रायगढ़ कलेक्टर से मिलवाने लाए थे। अदानी कंपनी के लोगों ने बैनर भी खुद ही बनबाया, और भोले भाले ग्रामीणों को आने जाने चाय नाश्ता खाना खर्च कंपनी द्वारा कर लाया गया, और जिन सीधे साधे ग्रामीणों को लाया गया उन्हें खुद नहीं मालूम होगा कि कलेक्टर से मिलने क्यों आये है। उनका पुनर्वास कहां किया जायेगा जमीन के बदले नौकरी का क्या प्रावधान है, इन सब पर कोई बात नहीं, अडानी के आदमी अब तक गुंडागर्दी और धनबल के दम पर ग्रामीणों दबाते चले आ रहे हैं। पूरे प्रभावित गांव में इनके दलाल और एजेंट सक्रिय है और अंदर से दीमक की तरह ग्रामीणों को खोखला कर रहे हैं। जिला मुख्यालय में ग्रामीणों के साथ दलालों और एजेंटों की भूमिका संदिग्ध लगी और जब पत्रकारों द्वारा पूछताछ की जाने लगी तब उन्हें मिर्ची लग गई। जब पत्रकारों ने सवाल करना शुरू किया तब गुंडा बोल जान से मारने की धमकी चमकी देकर धमका मुक्की पर उतारू हो गए। मैं इस घटना की निंदा करता हूं और कार्रवाई की मांग करता हूं।

पत्रकार हुए लामबंद/-
अडानी के एजेंटों और दलाल नुमा लोगों द्वारा पत्रकारों को गुंडा और धमकी चमकी के मामले में पत्रकार लामबंद होकर चक्रधर नगर थाने में एफआईआर दर्ज करने आवेदन दिए हैं। कॉरपोरेट परस्त लोगों के खिलाफ पत्रकार एकजुट होकर आगे की कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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