रायगढ़।
एक कहावत है बड़े बड़े वायदे और खोखले इरादे और यह मुहावरा चरितार्थ होता दिखाई दे रहा है एसईसीएल की कोल माइंस भू विस्थापितों के साथ, एक तो जमीन भी चंद मुट्ठी रुपयों की खातिर छीन गई और अपनी ही जमीन पर बेगाने हो गए और उचित मुआवजा पुनर्वास के लिए भी धरना प्रदर्शन आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ रहा है लेकिन इसका भी कोई असर कहीं दिखाई देता नहीं है। यह मुहावरा एसईसीएल पर सटीक बैठता है।
पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार एसईसीएल बरौद के विस्थापित परिवारों द्वारा एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर का घेराव कर सीएमडी को अपनी एक सूत्रीय मांगो का ज्ञापन सौंपा गया। और जनवरी 2024 को हुए समझौते के आधार पर विस्थापन लाभ दिलाए जाने की मांग की गई । विस्थापित परिवार द्वारा ज्ञापन में स्पष्ट कर दिया है कि यदि पूर्व समझौते के अनुसार 15 दिवस के अंदर मामले का निराकरण नहीं किया गया तो 16 अप्रैल से बृहद अनिश्चित है कालीन आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
जिले के एसईसीएल रायगढ़ अंतर्गत बरौद कोल माइंस प्रभावितों को लगातार मुश्किलों का समाना करना पड़ रहा है। इन सबके बीच एक बार फिर से बरौद खदान के प्रभावितों द्वारा मोर्चा खोलते हुए एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर सीएमडी दफ्तर पहुंचे और अपनी एक सूत्रीय मांगो को लेकर दफ्तर के सामने डट गए और ज्ञापन सौंपते हुए15 दिनों का अल्टीमेटम दे दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में प्रभावित ग्रामीणों महिला पुरुषों के द्वारा रैली की शक्ल में एसईसीएल सीएमडी मुख्यालय पहुंचे। इसके बाद दफतर के सामने प्रभावितों द्वारा नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया।
दरअसल एसईसीएल रायगढ़ अंतर्गत बरौद कोयला खदान प्रभावित लंबे समय से पुनर्विस्थापन लाभ को एसईसीएल के अन्य कोयला खदान भू विस्थापितों की तरह समान लाभ प्रदान किया जाने को लेकर लंबे समय से जद्दोजहद कर रहे हैं। एक तरफ जिस भूमि पर पूर्वजों से जीवकोपार्जन करते चले आ रहे थे वह एसईसीएल के कोयला खदान प्रभावित क्षेत्र में ले लिया गया। और विस्थापन के नाम पर लॉलीपाप के सिवाय कुछ हासिल नहीं हो पाया। इसकी पीड़ा भू विस्थापित परिवार सालों से सहन करता चला आ रहा है। अपने अधिकार के लिए लंबी लड़ाई लड़ने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हो रहा है।
साल 2023- 24 में इसी मांग को लेकर अनिश्चित कालीन आंदोलन के बाद एसईसीएल मुख्यालय रायगढ़ महाप्रबंधक की अध्यक्षता में जनवरी 2024 में एक दिपक्षीय बैठक हुई जिसमे एसईसीएल के बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में विस्थापित परिवारों ग्रामीणों जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में समझौता हुआ था। लेकिन इस समझौते के एक साल बीत जाने के बाद भी अब तक कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला अपितु अब एसईसीएल के अधिकारी यह कहने लग गए की सरायपाली के बडबड गांव की परियोजना के आधार पर मूल्यांकन किया जायेगा और बूडबुड परियोजना की फाइल अधिकारियों के पास लंबित है। यानि एसईसीएल मुख्यालय रायगढ़ के अध्यक्ष के नेतृत्व में हुई जनवरी 2024 के समझौते पर भी अमल नहीं किया जायेगा।
इस तरह भू विस्थापितों के लिए बैठक समझौता और आश्वासन इसके बाद समझौते से मुकर जाना यह सब एक आम बात हो चुकी है, इसका भू विस्थापित परिवार कितना दंश झेलता है और जिस भूमि की वजह से वे पूर्वजों से जीवको पार्जन करते चले आ रहे थे उसके छीन जाने के बाद उचित मुआवजे के लिए भी दर दर भटकने को मजबूर होना लड़ता है यह जमीनी स्तर पर देखा और समझा जा सकता है। प्रभावित ग्रामीणों ने सीएमडी दफ्तर घेराव के बाद ज्ञापन देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि 15 जनवरी तक मामले का निराकरण नहीं किया जाता है तो एसईसीएल प्रबंधक को कुंभकर्ण की निद्रा से जगाने 16 अप्रैल से उत्पादन डिस्पेच बंद कर कर दी जाएगी आर्थिक नाकेबंदी कर इसके बाद आर पार की लड़ाई आरंभ किया जायेगा।
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